कारगिल विजय दिवस आज
कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ।इस युद्ध में भारत के कई वीरों ने अपने प्राणों की आहूति दी मगर देश का मान नहीं झुकने दिया,वो हंसते हंसते देश के लिए कुर्बान हो गए।युद्ध के दौरान दुश्मनों के छक्के छुड़ाए,इसमें भारत की विजय हुई।ये दिन उन्हीं शहीद हुए सैनिको की याद में कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।यहां हम आपको ऐसे ही एक वीर योद्धा की कहानी बयां कर रहे हैं।
कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज के जरिए दिसंबर,1998 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी में भर्ती हुए।जाट रेजिमेंट की चौथी बटालियन के कैप्टन सौरभ कालिया को पहली पोस्टिंग कारगिल में मिली।15 मई को अपने पांच साथियों सिपाही अर्जुन राम,भंवर लाल बागरिया,भीका राम,मूला राम और नरेश सिंह के साथ लद्दाख की पहाड़ियों पर बजरंग पोस्ट की तरफ गश्त
लगाने गए।वहा पाकिस्तानी सेना की तरफ से अंधाधुंध
फायरिंग का जवाब देने के बाद उनके गोला बारूद खत्म हो गए।इससे पहले की भारतीय सैनिकों के उन्हें
बंदी बना लिया।उन्हें 15 मई से 7जून तक बंदी बनाकर रखा गया।उनके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया।9जून को उनके शरीर को भारतीय सेना को सौंपा गया।इतना सहने के बाद भी दुश्मन उनसे कुछ उगलवा न सका।
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