जिम कॉर्बेट जयंती
आदम खोर बाघों को मौत की नींद सुलाकर कुमाऊं ,गढ़वाल के लोगों को खूंखार वन्यजीवों से सुरक्षा देने वाले जिम कॉर्बेट को कौन नहीं जानता है। 25 जुलाई,1875 को नैनीताल जिले के कालाढूंगी में जन्म लेने वाले जिम एडवर्ड कॉर्बेट के लिए यहां के घनघोर जंगल उनकी पहली पाठशाला बने।जहां न वन्यजीवों की कमी थी,न परिंदों की और इन्हीं के बीच नन्हे जिम अचूक निशानेबाज बनकर उभरे थे।
पोस्टमास्टर पिता क्रिस्टोफर विलियम कॉर्बेट और माँ मेरी जैन के घर जन्मे जिम एडवर्ड कॉर्बेट महज चार साल के थे,तभी उनके सिर के ऊपर से पिता का साया उठ गया था। वह 12 भाई बहनों में 11 वें नंबर के थे।
संजीव दत्त ने लिखा जब जिम स्कूल में पढ़ते थे,उन दिनों फौज का एक बड़ा अफसर जवानों की मिलिट्री ट्रेनिंग का जायजा लेने इस इलाके में आया। क्षेत्र के कुछ चोनिंदा निशानेबाज लड़को को निशानेबाजी दिखाने का मौका दिया गया।जब जिम से निशाना लगाने को कहा गया तो घबराहट में पहला निशाना उनसे चूक गया।यह देख बड़ा अफसर जिम के पास आया और उनकी राइफल की साइट को ठीक करके बोला पहले तसल्ली कर लो और फिर आराम से निशाना लगाओ।
अफसर की यह बात सुन कर जिम ने तस्सली से निशाना लगाया और खुद को सबसे बेहतर निशानेबाज
साबित कर दिखाया।
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