कहीं खुशी तो कहीं मायूसी
साहिया: जैसे ही चालदा देवता गर्भगृह से बाहर आए। प्रवास यात्रा शुरू हुई तो दसऊ गांव में पहुंचे श्रद्धालु भावुक हो गए। महिलाएं अपने आराध्य के प्रवास पर हिमाचल जाने को देखते हुए रोने लगी।
जिससे यहां पर मायूसी दिखाई दी और हिमाचल के पश्मी गांव में देवता के आने को लेकर खुशी रही। हालांकि चालदा देवता प्रवास यात्रा शुरू होने के बाद आठ दिसंबर को दसऊ में रात्रि विश्राम होगा।
10 दिसंबर को सीताराम चौहान भूपऊ, 11 दिसंबर को म्यार खेड़ा, 12 दिसंबर को सावड़ा में बुरायला जगथान की बागड़ी होगी। जिसके बाद 13 दिसंबर को द्राबिल हिमाचल प्रदेश में बागड़ी।
सिरमौर में अंतिम पड़ाव होगा, जिसके बाद 14 दिसंबर को पश्मी मंदिर में एक वर्ष के लिए विराजमान होंगे। शांठीबिल और पांशीबिल के आराध्य छत्रधारी चालदा महासू महाराज के इस ऐतिहासिक सिरमौर प्रवास में तीस हजार से भी अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।
फूल मालाओं से किया स्वागत
साहिया: खत दसऊ पशगांव के दसऊ गांव स्थित विराजमान छत्रधारी चालदा महाराज के झोझोडियो के स्वागत के लिए दसऊ खत के ग्रामीण मुख्य गेट पर फूल मालाओं के साथ खड़े रहे। जिन्होंने हिमाचल प्रदेश के शिलाई क्षेत्र के पश्मी व द्राबिल गांवों के साढ़े तीन सौ लोग दसऊ गांव पहुंचे।