देहरादून – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में राज्य की पारिस्थितिकी को अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिये अधिसूचित जीईपी के आंकलन की दिशा में सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक (GEP Index) का उद्घाटन करने के पश्चात सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड पर्यावरण एवं जैव विविधता की दृष्टि से सम्पन्न राज्य है एवं राज्य के पास सभी तरह का पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध है।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पास हिमनदों के साथ नदियाँ घने जंगल से लेकर तराई घाटियां एवं हर तरह की भौगोलिक परिस्थितियाँ मौजूद हैं। जीईपी सूचकांक का आंकलन मुख्य रूप से जल गुणवत्ता, वायु गुणवत्ता, रोपित पेड़-पौधों की संख्या, जैविक मिट्टी के क्षेत्रफल की माप के आधार पर किया गया है। विकासपरक योजनाओं का सीधा असर इन्हीं चार घटकों पर मुख्य रूप से पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण के परिपेक्ष्य में राज्य द्वारा किये गये प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है तथा नीति आयोग द्वारा विकसित सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स इंडेक्स में उत्तराखण्ड द्वारा वर्ष 2023-24 में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उत्तराखण्ड विकासपरक योजनायें व औद्योगिक गतिविधियों के प्रसार के बावजूद भी अपने पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने में सफल हुआ है।उन्होंने कहा कि जीईपी सूचकांक अगला कदम है एवं इसके आगे जीईपी को किस प्रकार जीडीपी के साथ जोड़ा जाये इस विषय पर कार्य किया जा रहा है। उत्तराखण्ड जंगल, ताजे पानी, ग्लेशियरों से समृद्ध है जो राज्य को पारिस्थितिकी तंत्र सेवा का एक समृद्ध बैंक बनाता है। उत्तराखण्ड की जीडीपी वर्ष 2023-24 हेतु 3.33 लाख करोड़ रुपए है।उन्होंने कहा कि वर्ष 2010-11 में राज्य सरकार द्वारा राज्य के लिए ग्रीन बोनस की परिकल्पना के साथ 2021 में राज्य की जीडीपी में पर्यावरण सेवाओं के मूल्य और पर्यावरण को हुए नुकसान की लागत के अंतर को जोड़कर सकल पर्यावरण उत्पाद की परिभाषा को अधिसूचित किया था। 2021 की अधिसूचना में राज्य सरकार द्वारा जीईपी को राज्य की जीडीपी के साथ कैसे जोड़ा जाए इस पर भी कार्य योजना तैयार की गई है।