उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही विद्युत मांग ने मंगलवार को रिकार्ड कायम कर दिया। पहली बार प्रदेश में विद्युत मांग 50 मिलियन यूनिट (एमयू) तक पहुंच गई, जबकि उपलब्धता 38 मिलियन यूनिट से कम पर अटकी रही।
राष्ट्रीय एक्सचेंज से भी पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाई। ऐसे में बिजली आपूर्ति सुचारु रखने के लिए ऊर्जा निगम को हाथ-पांव मारने पड़े। नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण के साथ शहरी क्षेत्रों में भी कटौती की गई।
गर्मी और उमस के कारण प्रदेश में बिजली की मांग उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। रोजाना मांग में इजाफा हो रहा है। बात उपलब्धता की करें तो राज्य की विद्युत परियोजनाओं में हो रहे उत्पादन और केंद्र से आवंटित अंश को मिलाकर 38 एमयू के करीब बिजली ही एकत्र हो पा रही है।
ऐसे में रोजाना 11 से 12 एमयू बिजली की कमी ऊर्जा निगम के लिए परेशानी का सबब बन गई है। राष्ट्रीय एक्सचेंज से बिजली खरीदने के बावजूद ऊर्जा निगम के पास मांग के सापेक्ष विद्युत उपलब्धता नहीं है। ऐसे में अब ग्रामीण क्षेत्र के साथ शहर में भी बिजली के कट लगाए जा रहे हैं।
ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार के अनुसार प्रदेश में गर्मी के मौसम में बिजली की मांग बढ़ती है, लेकिन इस बार सामान्य से 20 प्रतिशत अधिक बढ़ोतरी हुई है। वहीं, विद्युत उत्पादन सामान्य बना हुआ है। बाजार से भी प्रर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही।
बुधवार को भी प्रदेश में विद्युत अनुमानित मांग 50 एमयू है। विद्युत खरीद के बावजूद उपलब्धता और मांग में चार से पांच एमयू का अंतर है। ऐसे में कहीं-कहीं कटौती की जा सकती है।