रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ भाजपा से निष्कासित किए गए वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत के करीबी माने जाते हैं। यही वजह है कि हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काऊ साथ में दिल्ली गए थे। कार्यक्रम था कि भाजपा आलाकमान के समक्ष पेश होकर अपनी बात रखी जाए।वापसी में काऊ और हरक सिंह की राह जुदा हो गई। इसी के साथ काऊ ने बयान जारी कर स्पष्ट किया कि वह कांग्रेस में नहीं जा रहे हैं और मरते दम तक भाजपा में ही रहेंगे।विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि वह हरक सिंह रावत के साथ इसलिए गए थे कि उन्हें समझा सकें। सही फैसला करने को प्रेरित कर सकें। दिल्ली पहुंचने पर प्रल्हाद जोशी ने उन्हें फोन कर कार भिजवाकर अपने पास बुलाने की पेशकश भी की।
तभी अचानक हरक सिंह रावत का मन बदल गया और उन्होंने पृथक राह अपनाने का निर्णय कर लिया। उमेश शर्मा काऊ अब दून लौट आए हैं। उनका कहना है कि हरक सिंह रावत के बारे में अब उन्हें कोई जानकारी नहीं है कि वह कहां हैं। जहां तक उनका सवाल है तो वह कहीं नहीं जा रहे हैं। भाजपा जो भी जिम्मेदारी देगी, वह उसे पूरा करेंगे।कोटद्वार मेडिकल कालेज की मांग को लेकर जिस वक्त हरक सिंह रावत ने इस्तीफे की धमकी देकर कैबिनेट बैठक छोड़ी थी। उस वक्त भी उनके साथ विधायक उमेश शर्मा काऊ के भी कांग्रेस में जाने की बातें उठने लगी थी। हालांकि, उस वक्त भी उन्होंने इससे इन्कार किया था।