प्रदेश सरकार जल्द ही लंबे समय से रिक्त चल रहे नर्सिंग के पदों पर भर्ती प्रक्रिया के संबंध में निर्णय ले सकती है। इसके लिए नर्सिंग नियमावली में संशोधन की तैयारी चल रही है। इसमें अब लिखित परीक्षा के स्थान पर वरिष्ठता के आधार पर नर्सों को नियुक्ति देने पर विचार चल रहा है। इसमें भी अनुभवी नर्सों को वरीयता री जाएगी। हालांकि, सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में विधि की भी राय ली जा रही है।
प्रदेश के विभिन्न सरकारी अस्पताल व मेडिकल कालेज में नर्सिंग संवर्ग के 2900 से अधिक पद खाली चल रहे हैं। इनमें इस समय संविदा और आउटसोर्स के माध्यम से सेवाएं ली जा रही हैं। इन पदों को भरने के लिए बीते वर्ष सरकार ने उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग (मेडिकल कॉलेज) नर्सिंग संवर्ग और उत्तराखंड अधीनस्थ नर्सिंग (अराजपत्रित) सेवा नियमावली में संशोधन किया था। इसके तहत आवेदन के लिए 30 बेड के अस्पताल में एक साल के अनुभव की शर्त को हटा दिया गया था। इससे नर्सिंग भर्ती की आस भी जगी।
सरकार भर्ती प्रक्रिया शुरू करती कि अस्पतालों में पहले से ही संविदा, आउटसोर्स, उपनल और एनएचएम के माध्यम से तैनात नर्सों ने भर्ती में उन्हें वरीयता देने की मांग उठाई। वहीं, नर्सिंग की परीक्षा पास करने वालों ने परीक्षा परिणाम के आधार पर ही नियुक्ति देने की मांग की। सरकार ने पहले तकनीकी शिक्षा बोर्ड के माध्यम से इसकी भर्ती कराने का निर्णय लिया। इसके लिए आवेदन आमंत्रित किए गए। परिचय पत्र भी जारी हुए लेकिन फिर इसमें बदलाव किया गया। नियुक्ति चिकित्सा चयन बोर्ड के माध्यम से कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन नियमावली पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया।अब एक बार फिर इसमें बदलाव पर विचार चल रहा है। प्रस्तावित नियमावली का खाका खींच कर इसे विधि विभाग में परीक्षण के लिए भेजा गया है। माना जा रहा है कि वहां से स्वीकृति मिलने के पश्चात इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।