मौसम और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दोपहर एक बजे के बाद से गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए यात्री नहीं भेजे जाएंगे। वहीं, शाम पांच बजे के बाद केदारनाथ से यात्रियों की वापसी नहीं होगी। जिलाधिकारी ने सेक्टर मजिस्ट्रेट को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। पैदल मार्ग पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्थापित मेडिकल रिलीफ प्वाइंट (एमआरपी) पर डॉक्टरों को शाम 6 बजे तक रहने को कहा गया है।
केदारनाथ यात्रा में यात्रियों को मौसम और अन्य कारणों से कोई दिक्कत न हो इसके लिए पैदल मार्ग पर यात्रियों को भेजने और धाम से वापस आने का समय निर्धारित कर दिया गया है। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि गौरीकुंड से एक बजे के बाद किसी भी यात्री को पैदल मार्ग से आगे नहीं जाने दिया जाएगा। साथ ही केदारनाथ से भी शाम पांच बजे के बाद पैदल मार्ग के लिए यात्रियों को नहीं भेजा जाएगा।केदारनाथ। केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा श्रद्धालुओं के लिए रोचक और नए अनुभवों को संजोने वाली साबित हो रही है। विभिन्न प्रांतों से पहुंच रहे शिव भक्त हिमखंड व बर्फ से रोमांचित हो रहे हैं। हिमखंडों के किनारे सेल्फी खींचकर इसे यादगार बना रहे हैं। बाबा के भक्तों को करीब चार किमी बर्फ काटकर बनाए गए रास्ते से धाम पहुंचना पड़ रहा है।
दिल्ली निवासी रमेश शर्मा, निकिता, सुदेश, राजस्थान के अंशराम ने बताया कि वे पहली बार केदारनाथ यात्रा पर आ रहे हैं। यहां बर्फ को देखकर नया अनुभव मिला है। छानी कैंप से रुद्रा प्वाइंट तक चार जगहों पर श्रद्धालु 12 फीट ऊंची बर्फ की दीवारों के बीच से गुजर रहे हैं। रुद्रा प्वाइंट से मंदिर तक दो किमी मार्ग के दोनों तरफ ढाई से तीन फीट बर्फ जमा है। निम के पूर्व प्राचार्य कर्नल (सेवानिवृत्त) अजय कोठियाल ने बताया कि रामबाड़ा से आगे मंदाकिनी नदी के दाई तरफ वाले क्षेत्र में वर्षभर धूप कम पड़ती है, जिस कारण यहां कई जगहों पर हिमखंड जोन हैं।