53 प्रत्याशियों की पहली सूची में 10 और मात्र 11 प्रत्याशियों की दूसरी सूची में छह समेत कुल 16 नए चेेहरों पर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेल दिया है। पांचवीं विधानसभा के चुनाव के लिए प्रत्याशियों की दूसरी सूची में युवाओं, महिलाओं के साथ ही पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच संतुलन साधा गया है। छोटी लेकिन ज्यादा नए चेहरों वाली इस सूची में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम ङ्क्षसह का दबदबा भी दिखाई दिया है।कांग्रेस पहली सूची जारी करने के दो दिन बाद भी शेष सभी 17 सीटों पर टिकट घोषित करने से परहेज कर गई। 11 प्रत्याशियों की सूची में चार क्षत्रीय, तीन ब्राह्मण, दो अनुसूचित जाति और दो अन्य पिछड़ा वर्ग से शामिल हैं। प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की बागडोर संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने टिकटों के वितरण के साथ ही स्वयं का टिकट तय करने के मामले में भी अपनी पकड़ ढीली नहीं होने दी है। अब तक हरीश रावत को कई अवसर पर चुनौती दे चुके रामनगर से टिकट के प्रबल दावेदार रहे पूर्व प्रत्याशी व प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत को अब सल्ट से चुनाव लड़ना पड़ सकता है। इस सीट पर पार्टी ने हरीश रावत की पसंद को ही तरजीह दी।
डोईवाला जैसी सीट पर कांग्रेस ने अपेक्षाकृत युवा चेहरे मोहित उनियाल शर्मा को मैदान में उतारा है। इस सीट पर अभी भाजपा ने भी प्रत्याशी तय नहीं किए हैं। डोईवाला के साथ ही ऋषिकेश में जयेंद्र रमोला को पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण, प्रदेश महामंत्री विजय सारस्वत और पूर्व प्रत्याशी राजपाल खरोला पर तवज्जो देकर पार्टी ने अपेक्षाकृत युवाओं पर ज्यादा भरोसा जताया है। पार्टी रणनीतिकार युवा मोहित और जयेंद्र के साथ रायपुर में वरिष्ठ नेता हीरा सिंह बिष्ट की तिकड़ी को कांग्रेस की नए समीकरणों की जुगत के रूप में देख रहे हैं। वहीं इस सूची के साथ महिलाओं को टिकट के मामले में कांग्रेस यह संतोष महसूस कर रही है कि वह अब भाजपा की बराबरी में है।
कांग्रेस ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को वापस तो लिया, लेकिन उन्हें टिकट देने के मामले में पार्टी का मन पसीजा है, दूसरी सूची में ऐसा नहीं लगा। अलबत्ता, पार्टी ने उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुसाई को टिकट देकर उनकी एक इच्छा जरूरी पूरी की है। तीसरी सूची में भी पार्टी ने हरक को टिकट नहीं दिया तो यह भी तय हो जाएगा कि उन्हें अपनी पूरी ताकत पुत्रवधू को जिताने पर ही लगानी होगी। पार्टी ने कालाढूंगी, लालकुआं पर प्रत्याशी चयन में इस बार पूर्व प्रत्याशियों के साथ ही उनकी पैरोकारी करने वाले बड़े नेताओं से ज्यादा सर्वे के परिणामों को तवज्जो दी है।