उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद भाजपा अपने चुनाव प्रबंधन की समीक्षा करेगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार यह देखा जाएगा कि प्रबंधन में कहीं कोई खामी तो नहीं रही। यदि कहीं ऐसा लगेगा तो पार्टी संगठन भविष्य की बुनियाद को और मजबूत करने की योजना पर कार्य करेगा। पार्टी की इस कवायद को राज्य में अगले साल होने वाले नगर निकायों के चुनाव और फिर वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को देखें तो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा यहां अजेय बनी रही है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य से सभी पांचों सीटों पर परचम फहराया तो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। वर्ष 2018 में हुए नगर निकाय चुनाव और फिर त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव में पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली। सहकारिता के चुनावों में भी भाजपा ने कांग्रेस को कहीं दूर धकेल दिया। वर्ष 2019 में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में फिर से पांचों सीटें अपने पास बरकरार रख इतिहास रचा।
इसके बाद पार्टी के सामने विधानसभा चुनाव में ऐसा ही प्रदर्शन दोहराने की चुनौती थी। इसी दृष्टिकोण से उसने अपनी फील्डिंग भी सजाई। उसका चुनाव प्रबंधन कितना प्रभावी रहा, इसे लेकर 10 मार्च को होने वाली मतगणना से साफ हो जाएगा। विधानसभा चुनाव के परिणाम जो भी रहेंगे, उसे भाजपा संगठन को स्वीकारना तो होगा ही, इससे वह भविष्य के लिए सबक भी लेगा।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि चुनाव के नतीजे आने के बाद भाजपा का प्रांतीय नेतृत्व इसकी गहनता से समीक्षा करेगा। इससे पता चलेगा कि पार्टी कहां मजबूत रही और कहां उसे अधिक काम करने की आवश्यकता है। यदि प्रबंधन में कहीं कोई खामी नजर आई तो फिर इसे दूर करने के मद्देनजर आगे की कार्ययोजना पर काम किया जाएगा। असल में भाजपा ऐसी पार्टी है जो एक चुनाव निबटने के बाद अगले चुनाव की तैयारियों में जुट जाती है। सूत्रों के अनुसार राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान मिले खट्टे-मीठे अनुभवों से सबक लेकर पार्टी अपने राजनीतिक धरातल को और मजबूती देगी। सांगठनिक स्तर पर यदि कहीं कोई कमीबेशी दिखी तो उसे दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।