प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय युवाओं को अपने विचारों और कथाओं के माध्यम से प्रेरित करते रहते हैं। 7 अगस्त 1997 को वृंदावन धाम में जन्मे इंद्रेश उपाध्याय ने मात्र 13 साल की उम्र में पूरी गीता कंठस्थ कर ली थी। वे कृष्णचंद शास्त्री ठाकुर के पुत्र हैं और वृंदावन के रमणरेती में रहते हैं।
हाल ही में इंद्रेश उपाध्याय ने दुल्हन शिप्रा के साथ शादी के सात फेरे लिए। सोशल मीडिया पर भी वे काफी लोकप्रिय हैं और अपने मोटिवेशनल विचारों से लोगों को प्रेरित करते रहते हैं।
यहां प्रस्तुत हैं उनके कुछ प्रेरक कोट्स:
- यदि किसी व्यक्ति का कोई अपराध नहीं है, तो उसे चुप रहना चाहिए क्योंकि सत्य अपने आप प्रकट हो जाता है।
- जीवन में शांति पाने के लिए त्याग करना आवश्यक है।
- किसी को पाने के लिए स्वयं को मत तड़पाओ, खुद को ऐसा बनाओ कि सामने वाला आपके लिए तड़पे।
- व्यक्ति को हमेशा भगवान की इच्छा में राजी रहना चाहिए।
- हर परिस्थिति में स्वयं को प्रसन्न रखना भी एक तपस्या है।
- हर चीज की शिकायत करना उचित नहीं है।
- किसी की गलती पर हीन भावना न रखें; स्थिति को समझने का प्रयास करें।
- मन को जीतो, संसार अपने आप जीत जाओगे।
- जो राम का है, वही वास्तव में काम का है।
इंद्रेश उपाध्याय के ये विचार न केवल युवाओं को प्रेरित करते हैं, बल्कि जीवन में संतोष, शांति और सफलता पाने का मार्ग भी दिखाते हैं।

