सुलगते सवाल
कानपुर देहात मे पुलिस जवानो की सहादत पुलिस व्यवस्था के सम्बन्ध मे कई प्रश्न खड़े करती है | सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलो मे पुलिस व्यवस्था को थाने स्तर से उच्च स्तर तक बदलने के दिशा निर्देश दिए है | लेकिन दुखद यह की राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने इन्हे लागू करने के बारे मैं बहुत कारगर पेहर नहीं की है | सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश मे सबसे महत्वपूर्ण पुलिस जवानो की और थानो की वर्त्तमान स्थिति मे सुधार करने की अपेक्षा थी |
पुलिस जवानो मे थकावट, लम्बे ड्यूटी हॉर्स और ट्रेनिंग की कमी के कारण उपर्युक्त हालत बनते है | महत्पूर्ण यह है की थानो मे स्टाफ की कमी तो है ही साथ ही बढ़ते कार्यबोझ के कारण वह अपराधियों के साथ मुकाबला करने मे कमजोर साबित हो रहे है | बढ़ती आबादी के सापेक्ष पुलिस कर्मियों की संख्या कम होने के कारण लॉ एंड आर्डर स्तापित करने मे समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है | इसलिए सबसे पहले भारत की बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से थानो मे पुलिसकर्मियो की बढ़ोतरी और प्रशिक्षण इत्यादि मे नये इनपुट लाने की आवश्यकता है |
यहाँ अमेरिका की पुलिस व्यवस्था याद आती है जो कि ना सिर्फ ज्यादा सशक्त है किन्तु ज्यादा स्वतंत्र भी है | आज कानपुर कि इस दुखद घटना के बाद ना सिर्फ भारत को आत्मविश्लेषण की आवश्यकता है बल्कि आवश्यकता है एक नये पुलिस रिफार्म की | ऐसा रिफार्म जो नयी स्किल्स उपलब्ध कराये और साथ ही अधिक स्वतंत्रता प्रदान करे |
विजय ढौंडियाल
( यह लेखक के स्वतंत्र विचार है
Great Sir your comments on the policing in India is thought provoking.
Dr.Arvind Joshi
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