WORLD TOURISM DAY 2020 :
वायरस ने जिंदगी पर ब्रेक लगायी तो खुल गया अनुभूतियों का नया संसार। घरबंदी के दौर में भी बंद नहीं थीं यात्राएं। वायरस से लगातार जंग में घायल और आहत मन को कहीं पहुंचने की जल्दी नहीं है।
कभी पैदल, कभी साइकिल तो कभी गाड़ी से अपनों से मिलने-जुलने का यह दौर ऐसा है जैसे जिंदगी की गाड़ी ‘बैकगियर’ में बहुत पीछे चली गई हो। सड़क पसंदीदा साथी बन गई है तो प्रकृति की गोद में मिल रहा है सुकून। आगे ‘नए सामान्य’ में आने वाली जीवन यात्रा के लिए यह ठहराव अच्छा है, जहां आपदा की थकान के बीच स्प्रिचुअल हो गए हैं लोग, प्रकृति के बीच खुद से मिल रहे हैं।
WORLD TOURISM DAY 2020 : जैसे नया-नया सीखा हो चलना
‘ऊंचाई से गिरते पानी की आवाज इतनी दूर तक नहीं आती पर उसका झाग,उसके छींटे मन पर पड़ रहे हैं। पैरों को पुल की धड़कन महसूस होती है जो किसी भारी वाहन के गुजरने से तेज हो जाती है।’ यह अंश है भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त आलोक रंजन की चर्चित पुस्तक ‘सियाहत का। आलोक रंजन ने इस किताब में दक्षिण भारत की अपनी यात्रा की जीवंत दास्तान पेश की है।
WORLD TOURISM DAY 2020 : छोटी दूरी और ऑफबीट डेस्टिनेशन
इस समय लोग छोटी दूरी की यात्रा को पसंद कर रहे हैं। यह तकरीबन तीस सौ किलोमीटर के दायरे में होती है। हालांकि आपदा के दौरान देखा गया था कि लोगों ने रोड ट्रिप के दौरान लंबी दूरी की यात्राएं भी कीं। ये वे लोग थे जो सपरिवार गृह राज्यों की ओर निकल पड़े थे। अब लोग ज्यादातर मन की शांति के लिए उन स्थानों को चुन रहे हैं जो कि उन्हें आपदा के कारण होने वाली थकान और तनाव से राहत दे सकें। जैसे हिमाचल पद्रेश, उत्तराखंड, राजस्थान के साथ साथ लोग गोवा को भी इसके लिए चुन रहे हैं।
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