सबसे संवेदनशील समय
उत्तराखंड में वनों की आग के लिहाज से सबसे संवेदनशील समय शुरू हो चुका है। यह है फायर सीजन (15 फरवरी से मानसून आने तक की अवधि)। इसी सीजन के दौरान राज्य में जंगल सबसे अधिक धधकते हैं और हर साल बड़े पैमाने पर वन संपदा को क्षति पहुंचती है। हर बार की भांति इस बार भी प्रदेश में जंगल की आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग ने कमर कसने का दावा कर रहा है।
जंगल की आग को लेकर अलर्ट तत्काल प्राप्त किए जाने के लिए मिशन मोड पर अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ ही ग्राम प्रधानों, वन पंचायत सरपंचों के साथ ही विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी फारेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। वर्तमान में फायर अलर्ट सिस्टम एप पर करीब 12 हजार सब्सक्राइबर जोड़े जा चुके हैं।
ग्राम प्रधान, महिला व युवक मंगल दल से मदद
वन विभाग ग्रामीणों से मदद के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में प्रथम चरण में आग की दृष्टि से अति संवेदनशील 12 वन प्रभागों से लगे गांवों के प्रधानों और महिला मंगल दल (ममंद) व युवक मंगल दल (युमंद) के अध्यक्षों को विभाग के फायर अलर्ट सिस्टम से जोड़ा जा रहा है।
वाटर मिस्ट माउंटेड वाहनों का प्रस्तुतीकरण
विश्व बैंक पोषित परियोजना यू-प्रिपेयर के तहत वन विभाग वाटर मिस्ट माउंटेड वाहन खरीद रहा है, जिनका प्रस्तुतिकरण भी वन कर्मियों को इन दिनों दिया जा रहा है। गनीमत है कि इस वर्ष अभी तक कोई बड़ी घटना नहीं हुई। जिससे वन विभाग अपनी तैयारियों को धीरे-धीरे आगे बढ़ा पा रहा है। बीते सप्ताह ही मसूरी वन प्रभाग की रिखोली बीट में अग्निशमन एवं आपात सेवा विभाग के सहयोग से फोर व्हील टाटा जिनोन विद वाटर मिस्ट मांउटेड का प्रदर्शन किया गया।
वन कार्मिकों को वाटर मिस्ट मांउटेड को चलाने के तरीके और कस्टमाइज्ड इक्यूपमेंट-वाहन की विशेषताओं से अब रूबरू कराया जा रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही जंगलों के धधकने की आशंका बढ़ गई है। बीते वर्ष भी करीब डेढ़ हजार से अधिक घटनाएं दर्ज की गई थीं। वहीं, वर्ष 2023 में प्रदेश में 2000, वर्ष 2022 में जंगल की आग की 22 सौ घटनाएं और वर्ष 2021 में करीब 2800 घटनाएं हुई थीं। इस बार अभी तक प्रदेश में छोटी-बड़ी 28 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
आग की दृष्टि से संवेदनशील वन प्रभाग
अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, हल्द्वानी, गढ़वाल, उत्तरकाशी, नरेंद्रनगर, चकराता, टिहरी, बदरीनाथ, सिविल सोयम अल्मोड़ा व पौड़ी।
एक नजर
- 11,217 है राज्य में वन पंचायतों की संख्या
- 7,832 ग्राम पंचायतें हैं राज्यभर में
- 95 हैं क्षेत्र पंचायतों की संख्या
- 3,895 हैं क्षेत्र पंचायतों में निवर्तमान सदस्य
- 6,800 से ज्यादा हैं महिला व युवक मंगल दल
- 5,000 से अधिक फायर वाचरों की हो रही तैनाती