कांग्रेस ने प्रदेश में दूसरी और तीसरी पांत के नेताओं पर नेतृत्व का दारोमदार डालकर नया दांव तो खेला ही, साथ ही पार्टी में जल्द सांगठनिक स्तर पर बड़े बदलाव भी दिखाई देंगे। प्रदेश कांग्रेस के नए कप्तान करन माहरा की नई कार्यकारिणी आकार में छोटी लेकिन दमदार बनाने की तैयारी है।साथ ही जिला इकाइयों का पुनर्गठन भी किया जाएगा। सांगठनिक जिलों की संख्या 28 से घटाने पर मंथन किया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पार्टी के दिग्गजों, अनुभवी नेताओं और कार्यकर्ताओं से सुझाव लेकर तीन से चार माह के भीतर नए संगठन को आकार दे सकते हैं।कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती संगठन में नए सिरे से जान फूंकने की है। लगातार दो विधानसभा चुनाव में मिली हार ने बड़े नेताओं से लेकर आम कार्यकर्ताओं तक के मनोबल को तोड़कर रख दिया है। चौथी विधानसभा के चुनाव में पार्टी को मात्र 11 सीट प्राप्त हुईं थीं।
पांचवीं विधानसभा चुनाव में सीटों की संख्या बढ़कर 19 तो हुई, लेकिन हार का बड़ा अंतर बरकरार रहने से पार्टी को अपनी क्षमताओं को नए सिरे से टटोलने के लिए विवश होना पड़ा है। कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदेश में पार्टी की कमान करन माहरा को सौंपने के बाद अब दूसरी और तीसरी पांत के नेताओं को आगे बढ़ाने का अवसर दे दिया है।पार्टी ने पहली बार इस तरह पत्ते फेंटे हैं कि सिर्फ प्रदेश स्तर पर ही नहीं, बल्कि जिला व विकासखंड स्तर पर भी नए और सक्रिय कार्यकत्र्ताओं के लिए आगे आने की जमीन तैयार की जा सके। वर्तमान में पार्टी के सांगठनिक जिलों की संख्या बहुत अधिक है।
इसमें कसावट लाने और कार्यकर्ताओं और जिला इकाइयों की सक्रियता बढ़ाने के लिए इनकी संख्या में कमी की जा सकती है। साथ ही पुनर्गठित जिला इकाइयों की कमान विधायकों अथवा प्रदेश स्तर के बड़े नेताओं को भी सौंपने की तैयारी है। करन माहरा अपनी नई टीम के गठन को लेकर मशक्कत कर रहे हैं।माहरा के सामने पार्टी नेतृत्व की इन्हीं उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती है। इस दायित्व को बखूबी महसूस कर रहे माहरा फिलहाल फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहे हैं। नए सिरे से संगठन को खड़ा करने की कवायद में क्षत्रपों के बीच संतुलन साधा जाएगा, लेकिन बड़े नेताओं के चहेतों को सक्रिय और निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर तवज्जो नहीं दी जाएगी।