बढ़ते तापमान के बीच पानी की खपत भी बढ़ गई है। इसके कारण नैनी झील का पानी रोज एक इंच घट रहा है। सरोवर नगरी में अभी जल संस्थान हर रोज घरेलू व व्यावसायिक उपभोक्ताओं को 80 लाख लीटर पानी सप्लाई कर रहा है, जबकि वीकेंड पर पर्यटकों की भीड़ बढऩे पर एक करोड़ लीटर पानी सप्लाई की जा रही है। हालांकि राहत यह है कि झील का जलस्तर अभी सामान्य से 5.9 इंच ही नीचे है, जबकि पिछले साल इसी तारीख को यह सामान्य से 8.7 इंच नीचे था।
शहर में पेयजल आपूर्ति झील के किनारे स्थापित दस ट्यूबवेल से की जाती है। इसका प्रभाव झील पर भी पड़ता है। क्योंकि इन ट्यूबवेल से झील का पानी जल संस्थान के पंप हाउस जाता है। वहां से आठ हजार से अधिक घरेलू व व्यावसायिक उपभोक्ताओं के घरों तक पहुंचता है। जल संस्थान के सहायक अभियंता दलीप सिंह बिष्ट के अनुसार पिछले साल की अपेक्षा झील का जलस्तर अधिक है। झील से औसतन एक इंच पानी घट रहा है, इसकी वजह सिर्फ सप्लाई नहीं है, वाष्पन भी है। इसके बाद भी पानी की सप्लाई आमतौर पर सामान्य कही जा रही है। उल्लेखनीय है कि चंद साल पहले नैनीताल में 24 घंटे पानी की आपूर्ति की परंपरा को खत्म कर सुबह शाम किया गया था।
ब्रिटिशकाल में नैनीझील को सूखाताल के साथ अलग-अलग जगह स्थित 22 वेटलैंड और पहाड़ियों पर बनवाये गए 39 किलोमीटर लंबे 62 नालों के जाल से बरसाती, भूमिगत जल मिलता था। बारिश होने पर कैचमेंट एरिया में जमा होने वाला पानी इनके जरिये ही झील तक पहुंचता था। लेकिन, वक्त के साथ ये कैचमेंट एरिया अतिक्रमण की भेंट चढ़ते गए। करीब चार साल पहले नैनीझील का अस्तित्व समाप्ति के कगार पर जा पहुंचा था। सूखाताल, जहां से रिसने वाला पानी ही झील में करीब 50 फीसदी जलापूर्ति का जरिया था, के निर्माण से पटने के बाद पानी मिलना बंद हो गया था। इसके बाद सूखाताल को दोबारा रिचार्ज करने की कवायद शुरू हुयी। पहाड़ियों पर बने नाले अब लोक निर्माण विभाग से सिंचाई विभाग को हस्तांतरित किये जा चुके हैं।
नैनीताल शहर के लिये पेयजल आपूर्ति भी नैनीझील से ही की जाती है। ब्रिटिश काल में यह आपूर्ति दो एमएलडी तक थी जो अब 50 हजार आबादी के लिये आठ एमएलडी प्रतिदिन हो चुकी है। वहीं वीकएंड और पर्यटन सीजन में पर्यटकों की आमद बढ़ने पर यह मात्रा हर रोज 10 से 11 एमएलडी तक पहुंच जाती है। ब्रिटिश काल में झील की गहराई करीब 28 मीटर थी, जो कुछ साल पहले 19 मीटर रह गयी थी। वर्तमान में झील में बरसात के मौसम के दौरान भी अधिकतम जलस्तर 12 फीट तक ही पहुंचता है।