राज्य विधानसभा चुनाव के आलोक में भाजपा के दृष्टिकोण से देखें तो पिछले विधानसभा चुनाव में उसे उम्मीद से ज्यादा बहुमत मिला। तब मोदी लहर पर सवार होकर पार्टी ने विधानसभा की 70 में से 57 सीटों पर परचम फहराया, जो उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। यह उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास में एक रिकार्ड है। अब इसे तोडऩा भाजपा के लिए भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
उत्तराखंड में भाजपा को चुनावी दृष्टि से शिखर पर पहुंचाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राज्य में लोकप्रियता सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है। प्रधानमंत्री मोदी का देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव है और वह इसे समय-समय पर प्रदर्शित भी करते हैं। केदारनाथ धाम तो उनकी अगाध आस्था का केंद्र है। साथ ही वह इस पहाड़ी राज्य को विकसित राज्यों की पांत में देखना चाहते हैं। यही वजह भी है कि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से उत्तराखंड को एक लाख करोड़ से अधिक की योजनाओं की सौगात मिली है। परिणामस्वरूप राज्य में भाजपा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से 2019 तक हुए प्रत्येक चुनाव में अजेय रही है।
चौथी विधानसभा के लिए वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी मोदी का जादू यहां के निवासियों के सिर चढ़कर बोला। तब चुनाव से ऐन पहले प्रधानमंत्री ने राज्य को चारधाम को जोडऩे वाली आल वेदर रोड योजना की सौगात दी तो विकास के लिए डबल इंजन के महत्व को रेखांकित किया।
भाजपा संगठन ने नमो की लोकप्रियता और राज्य के प्रति उनकी सोच को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तब भाजपा ने नारा दिया था ‘चप्पा-चप्पा भाजपा’ और यह धरातल पर साकार भी हुआ। विधानसभा चुनाव में पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने की उम्मीद अवश्य थी, लेकिन इतना प्रचंड बहुमत मिलेगा, उसने संभवतया यह सोचा भी नहीं रहा होगा। चुनाव परिणाम आए तो भाजपा रिकार्ड बनाने में सफल रही और वह भी ऐसा जिसे तोड़ना या उस तक पहुंचना किसी के लिए भी आसान नहीं है।