तीन मई को कपाट खुलने से लेकर अब तक रोजाना औसतन तीन से चार श्रद्धालु हृदयाघात से दम तोड़ रहे हैं

 उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण चारधाम में आक्सीजन की कमी, बर्फबारी व कड़ाके की ठंड श्रद्धालुओं के जीवन पर भारी पड़ रही है।तीन मई को कपाट खुलने से लेकर अब तक रोजाना औसतन तीन से चार श्रद्धालु हृदयाघात से दम तोड़ रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो मौसम का यह उतार-चढ़ाव मानव शरीर में भारी असंतुलन पैदा कर रहा है। यह स्थिति अंतत: उनकी मौत का कारण बन रही है।

चारधाम में हृदयाघात से मरने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते तीन दिनों में 24 श्रद्धालु हृदयाघात से दम तोड़ चुके हैं। जबकि, अब तक 92 श्रद्धालुओं ने ऋषिकेश समेत चारों धाम में दम तोड़ा। गुरुवार को केदारनाथ में चार, बदरीनाथ में तीन, यमुनोत्री में दो और गंगोत्री में एक श्रद्धालु की मौत हृदयाघात से हुई।

उच्च हिमालयी क्षेत्र के अत्याधिक ठंडे मौसम में हाइपोथर्मिया की शिकायत सामान्य हो गई है। इससे पीडि़त की अचानक मौत तक हो जा रही है। चारधाम में ग्रीष्म काल के दौरान बारिश और बर्फबारी होना सामान्य बात है, लेकिन यदा-कदा इतनी ऊंचाई पर आने वालों का शरीर प्राकृतिक रूप से ऐसी परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं रहता।

ऐसे में मौसम का यह उतार-चढ़ाव शरीर के भीतर रक्त संचार प्रणाली और श्वसन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। एम्स ऋषिकेश में कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अजीत भदौरिया के अनुसार मौसम के इस असंतुलन में चारधाम आने वाले श्रद्धालुओं को चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह पर ही यात्रा करनी चाहिए। इसमें जरा-सी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है।0

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