उत्तराखंड कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं… मुश्किलों में पार्टी, विधानसभा चुनावों से पहले संगठन में बदलाव का समर्थन

उत्तराखंड में कांग्रेस की कठिनाइयां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चुनाव में सफलता को तरस रही पार्टी आंतरिक मोर्चे पर प्रदेश संगठन के साथ विधायकों एवं वरिष्ठ नेताओं के समन्वय की चुनौती से पार नहीं पा सकी है। 

नगर निकाय चुनाव में प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा एक बार फिर विधायकों के निशाने पर हैं। 

ऊधम सिंह नगर के किच्छा से विधायक तिलकराज बेहड़ के बाद अब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने संगठन में बदलाव का समर्थन किया है। उधर, करन माहरा ने पलटवार के अंदाज में वरिष्ठ नेताओं को पार्टी फोरम के स्थान पर अन्य मंचों पर संगठन को लेकर बयानबाजी करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। पार्टी के सामने अब भी सबसे बड़ा संकट विधायकों और संगठन में अनबन नहीं थमना है।

नगर निकाय चुनाव में नहीं हुआ अनुरूप परिणाम

नगर निकाय चुनाव के दौरान भी टिकट वितरण के दौरान पिथौरागढ़ नगर निगम में महापौर की सीट पर क्षेत्रीय विधायक के साथ खींचतान का प्रभाव चुनाव परिणाम पर दिखाई दिया। महापौर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। यह स्थिति तब है, जब सामूहिक निर्णय लेने के लिए केंद्रीय नेतृत्व की ओर से प्रदेश समन्वय समिति का गठन किया हुआ है। प्रदेश संगठन के साथ विधायकों और वरिष्ठ नेताओं में बनी अविश्वास की खाई पाटने के लिए यह कदम उठाया गया। 

संकट का समाधान नहीं निकल पाया

यह अलग बात है कि इस उपाय के बावजूद संकट का समाधान नहीं निकल पाया। कुछ दिन पहले कांग्रेस विधायक तिलकराज बेहड़ ने स्मार्ट मीटर के विरोध में अपने प्रदर्शन के दौरान प्रदेश संगठन की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। संगठन में बदलाव की आवश्यकता का उनका बयान इंटरनेट मीडिया पर चर्चा का विषय बन चुका है।

 

स्मार्ट मीटर पर दिखी रार

विधायक बेहड़ के स्मार्ट मीटर के विरोध में छेड़े गए आंदोलन का पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समर्थन कर चुके हैं। वहीं, प्रदेश संगठन में बदलाव का समर्थन करने वालों में नया नाम पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं चकराता विधायक प्रीतम सिंह का जुड़ गया।

 

प्रदेश संगठन में बदलाव के लिए बोले

मीडिया से बातचीत में प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रदेश संगठन में बदलाव होना है अथवा यथास्थिति रखी जानी है, इस बारे में पार्टी नेतृत्व को समय रहते स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस बारे में समय पर निर्णय लेने की उनकी टिप्पणी से प्रदेश संगठन में बदलाव को हवा से जोड़कर देखा जा रहा है।

कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा

वरिष्ठ नेताओं की इस टिप्पणी को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने पहले संयत रवैया अपनाते हुए टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जिन परिस्थितियों में उन्होंने प्रदेश संगठन की कमान संभाली, तब कार्यकर्ताओं का मनोबल पस्त था। अब पार्टी कार्यकर्ता सड़कों पर प्रदर्शन से लेकर चुनाव के मोर्चे पर डटकर खड़े हैं। विधानसभा के दो उपचुनाव में पार्टी ने कड़ी टक्कर देकर मत प्रतिशत में वृद्धि की। नगर निकाय चुनाव में कई महत्वपूर्ण निकायों और जिलों में कांग्रेस का प्रदर्शन भाजपा से अच्छा रहा।

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