भावी युद्धों की तैयारी में मील का पत्थर रहा 2025, ऑपरेशन सिंदूर से विश्व ने पहचानी भारत की ताकत

वर्ष 2025 भावी युद्धों की तैयारी में मील का पत्थर रहा। ऑपरेशन सिंदूर ने सेना को युद्ध स्तर पर सैन्य तैयारियां करने को नई दिशा दी। इस वर्ष भारतीय सेना की आधुनिक, बहुआयामी व तकनीक-आधारित युद्ध की तैयारियों को बल मिला। रक्षा उत्पादन को नई ऊर्जा मिली, रक्षा निर्यात ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया। श्योक टनल और न्योमा एयरबेस के बनने से सैन्य ताकत कई गुणा बढ़ गई है।

भावी युद्धों की तैयारी करने में वर्ष 2025 मील का पत्थर साबित हुआ। आतंकवाद को शह देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ छेड़े गए ऑपरेशन सिंदूर ने सशस्त्र सेनाओं को युद्ध स्तर पर सैन्य तैयारियां करने को नई दिशा  दी।

वर्ष 2025 को भारतीय सेना के इतिहास में एक ऐसे निर्णायक वर्ष के रूप में दर्ज किया जाएगा। इस वर्ष 22 अप्रैल को पाकिस्तान की शह पर हुए पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए मई महीने में चले एतिहासिक ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना की आधुनिक, बहुआयामी व तकनीक-आधारित युद्ध की तैयारियों को बल दिया।

आधुनिक मिसाइलों व ड्रोन से दुश्मन पर सटीक प्रहार कर उसे एक रणनीतिक चेतावनी दी गई जिसका अच्छा आसार दिखा। कुशल रणनीति से अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर से विश्व को भारत की मजबूत सैन्य क्षमता व त्वरित निर्णय लेने की ताकत का भी अंदाजा हुआ।

साइबर स्पेस, अंतरिक्ष, सूचना युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में सैन्य क्षमताओं को और सुदृढ़ करने पर दिया गया विशेष ध्यान सशस्त्र सेनाओं ने बेहतर समन्वय से आपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन    किया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मजबूत एयर डिफेंस के कामयाब प्रदर्शन के बाद अगले छह महीने सशस्त्र सेनाओं की ड्रोन ताकत को बढ़ाने के साथ एंटी ड्रोन तकनीक को और कारगर बनाने को समर्पित रहे।

ड्रोन संचालन में दक्ष बने सैनिक

सेना ने अपने सैनिक को ड्रोन संचालन में दक्ष बनाने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में तेजी से काम कर जमीन के साथ हवा में भारतीय सेना की ताकत को कई गुणा बढ़ा दिया। वर्ष 2025 में सीमांत क्षेत्रों में दुश्मन को पुलों व सड़कों का जाल बिछाकर घेरने की दिशा में बहुत अधिक काम हुआ। एक साल में सीमांत क्षेत्रों में तैयार हुए 200 से अधिक रणनीतिक प्रोजेक्टों में से अधिकतर जम्मू कश्मीर व लद्दाख में बने।

जारी वर्ष में रक्षामंत्री द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर श्योक टनल समेत देश को समर्पित किए गए 125 विकास प्रोजेक्टों में से भी अधिकतर जम्मू कश्मीर व लद्दाख में थे। इनमें से देश को समर्पित किए गए 93वें पुलों में 47 पुल जम्मू कश्मीर व लद्दाख में देश की उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा के लिए बने हैं। अच्छी सड़कों, रियल टाइम संचार, सेटेलाइट स्पोर्ट, सर्वेलांस नेटवर्क से सीमा पर सैनिक मजबूत हुए।

रक्षा उत्पादन को भी नई ऊर्जा दी

ऑपरेशन सिंदूर ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत रक्षा उत्पादन को भी नई ऊर्जा दी। स्वदेशी हथियार प्रणालियों, संचार उपकरणों व निगरानी तकनीकों के उपयोग ने यह सिद्ध हुआ कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में आयात पर निर्भरता कम कर रहा है। देश के रक्षा क्षेत्र में उत्पादन में 174 प्रतिशत वृद्धि हुई जबकि निर्यात में 34 गुणा वृद्धि हुई।

वर्ष 2025 में सेना की आपरेशनल तैयारियां युद्ध स्तर पर रही है। ऐसे में लद्दाख व देश की अन्य सीमाओं पर एकिकृत युद्ध अभ्यासों में सशस्त्र सेनाओं ने मिलकर अभ्यास करने के साथ सेना की सभी फारमेशनों ने भी एक साथ अभ्यास कर अपनी युद्ध क्षमता को लगातार बढ़ाया।

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