प्रदेश में नई सरकार अस्तित्व में आ गई है। मंत्रिमंडल के गठन के बाद पहली कैबिनेट बैठक भी हो चुकी है। अब इंतजार है तो मंत्रियों के विभाग आवंटन का, जिसमें अभी कुछ वक्त लग सकता है।उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के चुनाव के बाद भाजपा ने फिर सत्ता में वापसी की है।
सरकार की कमान लगातार दूसरी बार पुष्कर सिंह धामी के हाथों में है। बुधवार को शपथ ग्रहण करने वाले आठ में से पांच मंत्री पिछली सरकार में भी थे, जबकि तीन नए चेहरे हैं।इन सबके बीच विभागों का बटवारा अभी होना शेष है। पहले यह माना जा रहा था कि कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रियों को विभाग आवंटित कर दिए जाएंगे, मगर ऐसा हुआ नहीं। मुख्यमंत्री अभी विभागों के आवंटन से पहले होमवर्क में जुटे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुक्रवार को लखनऊ जा रहे हैं। वहां वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। इसके बाद वह गोवा में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इसके बाद ही वह विभागों का आवंटन करेंगे।
विभागों के आवंटन के दौरान मंत्रियों का अनुभव भी काफी अहम रहेगा। जो पिछली सरकार में भी मंत्री रहे हैं, उन्हें पुराने विभाग देने की संभावना काफी अधिक है। इसके अलावा इनके अनुभव को देखते हुए इन्हें कुछ नए अहम विभाग भी दिए जा सकते हैं।नए मंत्रियों को वे विभाग दिए जा सकते हैं, जो पूर्व में उन मंत्रियों के पास थे, जो भाजपा से वापस कांग्रेस में लौट गए थे। यह भी माना जा रहा है कि भाजपा के दृष्टिपत्र और प्राथमिकता के हिसाब से अन्य अहम विभाग मुख्यमंत्री अपने पास रखेंगे।
प्रदेश की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बनने जा रही भाजपा की विधानसभा अध्यक्ष पद की प्रत्याशी ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सभी को साथ लेकर चलना अपनी प्राथमिकता बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पता है कि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद वह एक सामान्य ज्ञान का भी प्रश्न बन जाएंगी। जब भी उत्तराखंड की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष के बारे में पूछा जाएगा, तब उन्हीं का नाम आएगा।भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए कोटद्वार की विधायक ऋतु खंडूड़ी भूषण को अपना प्रत्याशी बनाया है। गुरुवार को नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा ने उन पर जो विश्वास जताया है उसके लिए वह केंद्रीय व प्रदेश नेतृत्व का आभार प्रकट करती हैं।वह अपनी पूरी क्षमता के साथ पद की गरिमा का पालन करेंगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब उन्हें अपने संसदीय ज्ञान को बढ़ाने के लिए और अधिक पढऩा भी पड़ेगा।