यदि आप उत्तराखंड में चार धाम यात्रा पर निकल रहे हैं, तो यात्रा प्रारंभ करने से पहले ही आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। यात्रा पर आने से पहले अपने स्वास्थ्य का परीक्षण जरूर करा लें। इतना ही नहीं, गर्म कपड़े, जरूरी दवाएं व चिकित्सक का पर्चा साथ रखना न भूलें।
उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के कारण चार धाम यात्रा मार्गों पर हृदय रोग से सर्वाधिक मौत होती हैं। इस साल भी यह सिलसिला थमा नहीं है और अब तक चारों धाम में कुल 21 लोगों की मौत हुई है। इनमें से एक यात्री खाई में गिरने से मरा है।
यमुनोत्री में 11 और गंगोत्री में तीन श्रद्धालुओं की मौत हृदय गति रुकने से हुई है। वहीं बदरीनाथ में एक और केदारनाथ में अब तक छह लोगों की मौत हो गई है। जिसमें एक यात्री खाई में गिरने से मरा है। ऐसे में जरूरी है कि चारधाम यात्रा पर (खासकर केदारनाथ और यमुनोत्री) आने वाले श्रद्धालु अपनी सेहत, खासतौर पर दिल का ख्याल रखें, ताकि यात्रा बिना किसी व्यवधान के संपन्न हो सके।
अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों, खासकर केदारनाथ में आक्सीजन की कमी और लगातार चढ़ाई में रक्तचाप अनियमित होने के कारण लोग को सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे में हृदय रोगियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ज्यादातर राज्यों में इनदिनों अत्याधिक गर्मी है, जबकि हिमालयी क्षेत्र में स्थित चार धाम यात्रा मार्गों पर ठंड है। यहां अचानक बारिश व बर्फबारी होने की भी संभावना हमेशा बनी रहती है। मौसम में अचानक होने वाले इस बदलाव से यात्रियों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।यमुनोत्री और केदारनाथ के लिए काफी पैदल चलना पड़ता है। साथ ही रास्ता काफी चढ़ाई वाला भी है। जिसमें ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीजों को परेशानी होती है। एकदम गर्म क्षेत्र से ठंडे क्षेत्र में आना और ऊंचाई व पैदल चढ़ाई कई बार यात्रियों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती हैैं।