कांग्रेस के यूथ व‍िंग से होते राजनीति की मुख्यधारा में खुद को स्थापित करने वाले हरीश रावत ताउम्र कांग्रेसी ही रहे

उत्तराखंड में कांग्रेस की राजनीति का किस्सा स्व.एनडी तिवारी के बाद हरीश रावत के बिना अधूरा होगा। कांग्रेस के यूथ व‍िंग से होते राजनीति की मुख्यधारा में खुद को स्थापित करने वाले हरीश रावत ताउम्र कांग्रेसी ही रहे। समय के साथ कांग्रेस ने भी उनके कद और पद का मान रखा। उत्तराखंड के लोग उन्हें हरदा नाम से पुकराते हैं। हरदा यानी बड़ा भाई। मौका है उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव का, ऐसे में चलिए जानते हैं कि कैसे छात्र राजनीति से निकलकर हरदा ने संघर्षों की बदौलत उत्तराखंड की राजनीति में खुद को स्थापित किया। उत्तराखंड में कांग्रेस की राजनीति का किस्सा स्व.एनडी तिवारी के बाद हरीश रावत के बिना अधूरा होगा। कांग्रेस के यूथ व‍िंग से होते राजनीति की मुख्यधारा में खुद को स्थापित करने वाले हरीश रावत ताउम्र कांग्रेसी ही रहे। समय के साथ कांग्रेस ने भी उनके कद और पद का मान रखा। उत्तराखंड के लोग उन्हें हरदा नाम से पुकराते हैं। हरदा यानी बड़ा भाई। मौका है उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव का, ऐसे में चलिए जानते हैं कि कैसे छात्र राजनीति से निकलकर हरदा ने संघर्षों की बदौलत उत्तराखंड की राजनीति में खुद को स्थापित किया।

हरीश रावत का परिवार खेती-किसानी से जुड़ा हुआ परिवार था। आजादी के आंदोलन के दौरान और बाद में उन्होंने अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण और सल्ट में राजनीति को करीब से देखा। राजनीतिक वातावरण मिलने के कारण ही राजनीति मेें उनकी सहज अभिरुचि बढ़ गई। जिले में 12वीं तक की शिक्षा हासिल करने के बाद वे उच्चा शिक्षा के लिए लखनऊ चले गए। लखनऊ विवि से ही उन्होंने बीए किया, उसके बाद वहीं से एलएलबी किए। इस दौरान वह कांग्रेस की यूथ विंग से जुड़े रहे। अपने गृह जनपद में लौटे तो ब्लाक स्तर पर कांग्रेस की राजनीति शुरू की। ब्लाक अध्यक्ष बने। इसके बाद जिलाध्यक्ष बने। जिसके बाद युवा कांग्रेस में लंबे समय तक कई पदों को सुशोभित किया।

जनता पार्टी की सरकार में फैली अस्थिरता के बाद 1980 में हुए 7वीं लोकसभा के चुनाव में अल्मोड़-पिथौरागढ़ सीट से पहली बार हरीश रावत संसद पहुंचे। पहला चुनाव जीतने के साथ ही उन्हें केन्द्रीय कैबिनेट में जगह मिली और लेबर एंड एंम्प्लयमेंट में केन्द्रीय राज्यमंत्री बने। अल्मोड़ा सीट से वे लगातार तीन बार सांसद चुने गए। फिर 1991 की राम लहर में हरदा के हार की शुरुआत हुई और लगातार चार चुनाव हारे। 2004 में अल्मोड़ा सीट से उनकी पत्नी भी चुनाव हार गईं। 2009 में हरिद्वार आकर उन्होंने फिर से जीत की शुरुआत की और सांसद बने। हरिद्वार से ही 2014 में उनकी पत्नी रेणुका रावत बड़े अंतर से पूर्व मुख्यमंत्री निशंक से चुनाव हार गईं। इसके बाद 2019 में उन्होंने नैनीताल-यूएसनगर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें भाजपा के अजय भट्ट से करारी हार मिली।

2012 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ, तो कांग्रेस सत्ता में आई और विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने। विजय बहुगुणा भी दो साल ही पद पर रह पाए। उनके बाद बाद हरीश रावत को कांग्रेस ने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया। दो साल दो महीने तक मुख्यमंत्री बने रहने के बाद विधायकों के बगावत के बाद उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 25 दिन के राष्ट्रपति शासन के बाद 21 अप्रैल 2016 को एक बार फिर हरीश रावत महज एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बने। उसके बाद 19 दिन का राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। तमाम राजनैतिक उठापटक के बाद हरीश रावत 11 मई 2016 से 18 मार्च 2017 यानी कि एक साल से कम वक्त के लिए फिर मुख्यमंत्री बने। 2017 के विस चुनाव में हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दोनों सीट से चुनाव हार गए।

2019 के चुनाव में राजनीतिक पंडित उत्तराखंड की जिस अकेली सीट पर कांग्रेस की जीत का अनुमान लगा रहे थे, उसमें कांग्रेस की सबसे बड़ी हार हुई। पार्टी के सबसे बड़े नेता हरीश रावत को नैनीताल सीट पर तीन लाख उन्तालिस हजार से भी ज्यादा मतों से हार का सामना करना पड़ा। रावत के राजनीतिक करिअर की यह अब तक की सबसे बड़ी हार थी और इस चुनाव में उत्तराखंड की पांचों सीटों पर वे सबसे ज्यादा अंतर से पराजित हुए। इसके पहले हरीश रावत सीएम रहते 2017 विस चुनाव के दौरान हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दोनों सीट से चुनाव हार गए थे। लेकिन हरीश रावत जितनी बार चुनाव हारे अगली उतनी ही ताकत से जनता के बीच सामने आए।सन 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया तो कांग्रेस ने हरीश रावत को प्रदेश का पहला अध्यक्ष बनाया। उनकी अगुवाई में 2002 का कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ा। उस चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत साबित किया। लेकिन तब कांग्रेस ने हरीश रावत को सीएम बनाने की बजाए एनडी तिवारी को मुख्यमंत्री बना दिया। उत्तराखंड में वही एक चुनाव हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यक्राल पूरा किया।

 

 

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