पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड में भी किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर अपनी राय रखकर दलित कार्ड खेला था। गुरुवार को फिर हरदा ने तीनपानी में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य में उत्तराखंड को संभालने की क्षमता है। जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच ई है।गुरुवार को हरीश रावत ने बरेली रोड़ के तीनपानी में आयोजित चुनावी सभा में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के बाद राज्य में चीजों को थोड़ा बहुत हमने संभालने की कोशिश की है। अब आगे के लिए यदि हम देखते हैं तो हमें केवल यशपाल आर्या ही नजर आते हैं। कौन कहां पैदा हुआ है। इसका कोई महत्व नहीं है। महत्व इस बात का है कि व्यक्ति में कितनी क्षमता है। कल के उत्तराखंड को व आज के इस कुमाऊं संभाग को संभालने की क्षमता और ताकत है। उनकी इस बात को लेकर एक बार फिर राजनीति गर्मा गई है।
पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सीएम हरीश रावत ने उत्तराखंड में भी दलित सीएम बनाने को लेकर अपनी राय रखी है। जिससे कांग्रेस के अंदर और भाजपा में भी बैचेनी बढ़ गई थी। बता दें कि उत्तराखंड में करीब 20 प्रतिशत दलित वोट बैंक हैं। जिसका असर मैदानी सीटों पर ज्यादा है। दलित वोटर का उत्तराखंड की 20 से ज्यादा सीटों पर प्रभाव है। जो हार- जीत तय करते हैं। ऐसे में हरीश रावत की इस बात का दलित वोटरों में कितना असर दिखता है यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन फिलहाल एक बार फिर दलित कार्ड खेलकर रावत ने उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है।