सूत्रों के अनुसार, नगर निगम को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कई आवासीय भवनों में दुकानें तो हैं, लेकिन टैक्स केवल आवासीय दर से ही जमा किया जा रहा है। इस पर निगम ने अब बड़े स्तर पर जांच शुरू कर दी है। कई भवनों को चिह्नित किया जा चुका है और शीघ्र ही नोटिस जारी करने की तैयारी है। नगर निगम क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 1.30 लाख आवासीय भवन हाउस टैक्स के दायरे में हैं। इस वित्तीय वर्ष में निगम ने 80 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 60 करोड़ रुपये के पार पहुंचा था। नवंबर तक निगम पर लक्ष्य हासिल करने का दबाव बढ़ गया है, जिसके चलते राजस्व बढ़ाने के लिए यह सख्त कदम उठाया जा रहा है।
स्व कर प्रणाली में दी गई गलत जानकारी पर भी होगी जांच
वर्ष 2014 में लागू स्व कर प्रणाली के तहत भवन मालिकों ने अपने घरों का कारपेट एरिया और उपयोग निगम को स्वयं घोषित किया था। निगम ने उस समय बिना जांच के उन्हीं आंकड़ों को मान्य कर लिया। लेकिन अब सामने आया है कि शहर में हजारों ऐसे आवासीय मकान हैं जिनमें नीचे दुकानें और ऊपर निवास जैसी गतिविधियां हैं, जबकि टैक्स अभी भी केवल आवासीय दर से लिया जा रहा है।
नए जोड़े गए गांवों में भी होगी सख्ती
सहायक नगर आयुक्त विजय चौहान ने बताया कि नगर निगम सीमा विस्तार में शामिल 72 गांवों में फिलहाल वर्ष 2028 तक आवासीय हाउस टैक्स में छूट दी गई है, लेकिन व्यावसायिक भवनों पर टैक्स अनिवार्य है। इन क्षेत्रों में भी कई स्थानों पर आवासीय भवनों में दुकानें या व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुल चुके हैं। निगम अब यहां भी सर्वे कर व्यावसायिक हिस्से पर टैक्स वसूली शुरू करने की तैयारी कर रहा है।