पेयजल के पूर्व एमडी भजन सिंह के खिलाफ जारी रहेगी विजिलेंस जांच

नैनीताल। भ्रष्टाचार व पद के दुरुपयोग के आरोप में घिरे पेयजल निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक भजन सिंह के खिलाफ विजिलेंस जांच जारी रहेगी। हाईकोर्ट के निर्देश पर एसएपी विजिलेंस ने 21 अक्टूबर को कोर्ट में जांच रिपोर्ट पेश करनी है।

हाईकोर्ट ने अपने खिलाफ सतर्कता जांच को चुनौती देने खाली उत्तराखंड पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक रहे भजन सिंह की चुनौती याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। भजन सिंह पर एमडी रहते अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टचार और पद के दुरुपयोग के आरोप हैं।हाईकोर्ट ने जांच में सहयोग न करने पर 30 जून 2021 के उस अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया जिसमें कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच पर रोक लगा दी थी। अब कोर्ट ने एसएसपी विजिलेंज विभाग देहरादून की जांच जारी रखने के निर्देश दिए।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से भी कहा है कि यह जांच में सहयोग करें और सतर्कता विभाग की ओर से मांगे गए सभी विवरण एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराएं। कोर्ट के एसएसपी विजिलेंस देहरादून को 21 अक्तूबर को जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।

न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार भजन सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह वर्ष 1984 में उत्तर प्रदेश जल निगम में सहायक अभियंता के रूप में नियुक्त हुए थे। विभिन्न पदोन्नति के बाद 2009 में उन्हें कार्यवाहक प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी नियुक्ति नियमानुसार थी।

3 मई 2012 को एक आदेश जारी कर रवींद्र कुमार को प्रबंध निदेशक नियुक्त कर दिया गया जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने 9 अगस्त 2012 को याचिका खारिज कर दी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जहां से रवींद्र कुमार की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया। इसके बाद नई पदोन्नति जारी की गई और याचिकाकर्ता को 19 दिसंबर 2013 की अधिसूचना के तहत नियमित आधार पर प्रबंध निदेशक के पद पर पदोन्नत किया गया।

 

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का सेवा रिकॉर्ड बेदाग है। उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से किया है। कुछ अधीनस्थ अधिकारी याचिकाकर्ता से खुश नहीं थे। इसलिए अधीनस्थों ने उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया और उनकी खिलाफ झूठी शिकायतें कीं। सितंबर 2020 में राज्य सरकार ने विजिलेंस की ओर से जांच शुरू की, जिसमें याचिकाकर्ता से उनके, पत्नी, बच्चों और माता-पिता के पैन और बैंक खातों का विवरण मांगा गया।

पूर्व एमडी ने कहा, जांच की जा चुकी है

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसके ऊपर लगे सभी आरोपों की सक्षम प्राधिकारी द्वारा पहले ही जांच हो चुकी है। तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित भी किया जा चुका है। इसलिए आगे की जांच शुरू करने का कोई कारण नहीं है। इस पर एसएसपी विजिलेंज विभाग देहरादून की ओर से कहा गया कि पिछली शिकायतों पर कोई जांच नहीं की गई और न कोई जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था और ना ही आरोप तय किए गए थे।

एसएसपी विजिलेंज विभाग देहरादून की ओर से कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जो विभागाध्यक्ष के रूप में एक सार्वजनिक पद पर रह चुका है, जांच में सहयोग करना चाहिए था और सतर्कता विभाग द्वारा मांगे गए विवरण पेश करने चाहिए थे।

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