विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति का मामला

नैनीताल।

उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्राइमरी और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाए गए साढ़े तीन हजार शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच पूरी कर सत्यापन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। इसके लिए सरकार को मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने दो माह का वक्त दिया है।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने प्रगति रिपोर्ट पेश कर कहा कि प्रदेश के 80 प्रतिशत शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच हो चुकी है। शेष 20 प्रतिशत के दस्तावेजों की जांच नहीं हुई है। क्योंकि इन 20 प्रतिशत शिक्षकों ने राज्य से बाहर के अन्य संस्थानों के दस्तावेज दर्शाएं हैं। इसलिए इनकी जांच के लिए उन्हें समय दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के समक्ष सरकार ने कहा कि फर्जी दस्तावेजों पर नियुक्त शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही जारी है। कुछ शिक्षकों ने इस कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

मामले के अनुसार स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य के प्राइमरी और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किए गए है। इनमें से कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई, जिनमें खचेड़ू सिंह, ऋषिपाल, जयपाल के नाम सामने आए। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इन्हें क्लीन चिट दे दी गई और ये अब भी कार्यरत हैं। संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जांच कराने के लिए कहा है। पूर्व में राज्य सरकार ने शपथपत्र पेश कर कहा था कि मामले की एसआईटी जांच चल रही है अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पाए गए हैं। उन पर विभागीय कार्यवाही चल रही है।

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