चुनाव की राह आसान नहीं होती। लोकतंत्र के महापर्व में जनता की भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए निर्वाचन टीम को कहीं नदी से होकर गुजरता होता है तो कहीं जंगल के रास्तों पर सफर करने की नौबत आती है। पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम बिगडऩे पर बर्फ से लकदक रास्ते भी नापने पडऩे हैं। नैनीताल जिले के 27 मतदेय स्थलों तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को इस बार जंगल से गुजरना होगा।चुनाव की घड़ी नजदीक आते ही प्रत्याशियों ने प्रचार तेज कर दिया है तो निर्वाचन विभाग चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है। छह सीट वाले नैनीताल जिले में 18 मतदेय स्थल ऐसे हैं जहां मौसम खराब होने पर हिमपात की संभावना रहेगी। दो बूथ ऐसे हैं जहां तक पहुंचने के लिए नदी या नाला पार करना होगा।
कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र में राजकीय प्राथमिक विद्यालय धापला पहुंचने के लिए निहाल नदी पार करनी होगी। धापला गांव में 371 मतदाता हैं। भीमताल विधानसभा के उडुवा गांव के 317 वोट पाने के लिए भी निर्वाचन टीम को पानी से होकर गुजरना होगा। नैनीताल सीट के खलाड़ गांव व कालाढूंगी सीट के बल्यूटी गांव के मोरा तोक की डगर भी कठिन है। खलाड़ में 400 व मोरा में 112 वोट हैं।
सीट जंगल बर्फ पानी मुश्किल
लालकुआं – – – –
भीमताल 25 17 01 –
नैनीताल 01 01 – 01
हल्द्वानी – – – –
कालाढूंगी 01 – 01 01
रामनगर – – – –
योग 27 18 02 02
मतदेय स्थलों पर मतदान टीम एक दिन पहले पहुंच जाती है। नैनीताल जिले के भीमताल विधानसभा सीट पर कई मतदेय स्थल अति दुर्गम इलाकों में है। जहां तक पहुंचने के लिए टीम को सड़क मार्ग के अलावा सात से आठ किमी तक पैदल सफर कराना होगा। ऐसे केंद्रों तक जाने वाली 24 मतदान टीम दो दिन पहले रवाना हो जाएंगी। उप जिला निर्वाचन अधिकारी नैनीताल अशोक जोशी ने बताया कि दूरस्थ व कठिन रास्ते वाले मतदेय स्थलों को अलग सूचीबद्ध किया गया है। जरूरत पडऩे अतिरिक्त इंतजाम करने पड़ सकते हैं। दूरस्थ मतदेय स्थलों के लिए मतदान टीम दो दिन पहले रवाना हो जाएगी।