समाजवादी पार्टी अब प्रदेश की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने सभी दलों से गठबंधन करने का इरादा भी छोड़ दिया है। जल्द ही पार्टी अपनी दूसरी सूची भी जारी कर देगी।उत्तराखंड गठन के बाद से ही समाजवादी पार्टी यहां अपना वजूद तलाश रही है। यह बात दीगर है कि प्रदेश में अभी तक हुए चार विधानसभा चुनावों में सपा एक भी सीट नहीं जीत पाई है। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने हरिद्वार संसदीय सीट से जरूर जीत हासिल की थी। यह पार्टी की प्रदेश में एकमात्र बड़ी उपलब्धि है। बात करें विधानसभा चुनाव की तो, प्रदेश में वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में सपा ने 56 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उसे तकरीबन 7.89 प्रतिशत वोट मिला था। उसके प्रत्याशी कई सीटों पर मामूली अंतर से हारे थे, लेकिन इसके बाद सपा इस प्रदर्शन को भी नहीं दोहरा पाई।
वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा ने 42 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 6.50 प्रतिशत वोट मिले। वर्ष 2012 में हुए चुनाव में सपा ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ा और इस बार उसका मत प्रतिशत लुढककर मात्र 1.5 प्रतिशत रह गया। वर्ष 2017 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में हुए समाजवादी पार्टी के घमासान का असर उत्तराखंड में देखने को मिला। सपा 18 सीटों पर ही चुनाव लड़ा पाई। इस बार उसे एक प्रतिशत से भी कम वोट मिले।इस चुनाव में सपा फिर से खम ठोक रही है। पार्टी 30 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर चुकी है। अभी तक वह अन्य दलों से गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही थी, लेकिन बात नहीं बनी। ऐसे में पार्टी ने सभी सीटों पर खुद चुनाव लडऩे का निर्णय लिया है। प्रदेश अध्यक्ष एसएन सचान ने कहा कि अब पार्टी सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। एक-दो दिनों के भीतर प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी जाएगी।