दिल्ली के अस्पतालों को लेकर एक बड़ा और हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। इस दौरान पता चला कि राजधानी के 18 से अधिक अस्पतालों में फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम नहीं, जिसमें केंद्र सरकार के चार बड़े अस्पताल भी शामिल है। साफ है कि इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जान पर हर वक्त मौत का साया मंडराता रहता है। यही नहीं, इन अस्पतालों के पास दमकल विभाग की तरफ से जारी एनओसी सर्टिफिकेट भी नहीं है, जो कि अनिवार्य है। इससे भी हैरान करने वाली बात ये है कि करीब तीन महीने पहले दिल्ली सरकार ने फायर सेफ्टी को लेकर ऑडिट किया था, लेकिन इसके बाद भी कोई बदलाव नहीं हुआ है।
सीएनएन न्यूज़ 18 ने इस साल सितंबर में अपने ऑपरेशन में खुलासा किया था कि दिल्ली के अधिकांश बड़े अस्पतालों और बाजारों में फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। इसके बाद दिल्ली सराकर ने फायर सेफ्टी ऑडिट किया था। वहीं, दिल्ली सरकार के इस कदम के बाद एक बार फिर न्यूज़ 18 ने इन अस्पतालों की पड़ताल की तो पता चला है कि अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है और मरीजों पर मौत का खतरा बना हुआ है. न्यूज़ 18 की पड़ताल में पता चला कि दिल्ली के अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम बदहाल पड़ा है। कहीं यह खराब हो चुके हैं, तो कहीं यह खाली हैं। वहीं, कागजी खानापूर्ति के लिए अस्पतालों में फायर सिस्टम के नाम पर छोटे सिलेंडर रखे नजर आए,जिसमें से कई एक्सपायर हो चुके हैं. साफ है कि फायर फाइटिंग सिस्टम की बदहाली के कारण अस्पतालों में यदि कोई हादसा हो जाए तो त्वरित राहत मिलना मुश्किल है।
वहीं, दमकल विभाग की मदद मिलने तक बड़ा नुकसान हो सकता है। इसको लेकर एक मरीज ने कहा कि यह अस्पतालों की बड़ी लापरवाही है, इसका पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए. हालांकि दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने कहा कि सभी अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम ठीक नहीं है, ऐसा नहीं कह सकते. हां, कुछ ब्लॉक और बिल्डिंग में दिक्कत हो सकती है।
ने दिल्ली के हरिनगर में स्थित डीडीयू अस्पताल के ट्रामा सेंटर का जायजा लिया तो पता चला है कि उसके पास फायर सेफ्टी क्लीयरेंस ही नहीं है। वहीं, एलएनजेपी अस्पताल का ऑपरेशन वार्ड और कैजुअल वार्ड का फायर सिस्टम तय मानकों पर खरा नहीं उतरता. यही नहीं, दिल्ली के बड़े अस्पतालों में शामिल आरएमएल के पास तो फायर एनओसी भी नहीं है।