प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में बुधवार को झमाझम बारिश हुई। जिससे भीषण गर्मी और उमस से फौरी राहत मिली। दून में बारिश से अधिकतम तापमान में सामान्य (34.8) से एक डिग्री सेल्सियस की कमी दर्ज की गई।मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के लिए राज्य के पांच पहाड़ी जिलों में गर्जन के साथ बारिश की संभावना जताई है। गुरुवार को राजधानी देहरादून में सुबह से ही चटख धूप खिल गई। देर शाम छह बजे उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग राणाचट्टी के पास लैंडस्लाइड होने के कारण बड़े वाहनों के लिए अवरुद्ध हो गया। छोटे वाहनों के लिए मार्ग सुचारू रहा।
दून में एफआरआइ, माल देवता, राजपुर रोड और चकराता रोड क्षेत्र में अधिक बारिश रिकार्ड की गई। उधर, चारधाम में दिनभर बादल छाए रहे। जबकि चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की बारिश रिकार्ड की गई। दून के अलावा ऋषिकेश, हरिद्वार, कोटद्वार के आसपास के क्षेत्रों में भी बारिश होने से बेहाल करने वाली गर्मी से राहत महसूस की गई।
अंतरराष्ट्रीय संकट के चलते गैस और कोयले के दामों में हुई बढ़ोतरी का असर समूचे देश की बिजली व्यवस्था पर पड़ रहा है। उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। बुधवार की ही बात करें तो मांग के सापेक्ष बिजली आपूर्ति 6.16 मिलियन यूनिट (एमयू) कम रही। इसके चलते ऊर्जा निगम को विभिन्न क्षेत्रों में रोस्ट्रिंग भी करनी पड़ रही है।
ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल यादव के मुताबिक, प्रदेश में बिजली की मांग 48.39 एमयू रही। वहीं, राज्य व केंद्रीय पूल से 42.23 एमयू बिजली मिल पाई। इसके बाद भी अधिकांश क्षेत्रों में बिजली की निर्बाध आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश के 80 प्रतिशत क्षेत्रों को रोस्ट्रिंग से मुक्त रखा गया।प्रबंध निदेशक अनिल यादव ने बताया कि पिटकुल के पावर कन्वर्टर के क्षतिग्रस्त होने की घटनाओं पर अंकुश लगने से भी बिजली की व्यवस्था अपेक्षाकृत ठीक चल रही है। प्रदेश में पावर कन्वर्टर के क्षतिग्रस्त होने की दर पांच वर्षों में 1.21 प्रतिशत रही। दूसरी तरफ उत्तराखंड में यह दर महज 0.18 प्रतिशत है। हर स्तर पर बिजली की आपूर्ति को निर्बाध रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।