यूक्रेन में फंसे भारतीयों के कुल 42 उत्तराखंडी सकुशल अपने घर लौट चुके

यूक्रेन में युद्धग्रस्त क्षेत्रों में फंसे भारतीयों के स्वदेश लौटने का सिलसिला जारी है। युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक कुल 42 उत्तराखंडी सकुशल अपने घर लौट चुके हैं। सातवें दिन सात व्यक्तियों को घर पहुंचाया गया। जबकि, उत्तराखंड से अब तक 282 व्यक्तियों के नाम की सूची केंद्र सरकार को भेजी गई है।आज मध्यरात्रि को उत्‍तराखंड के 13 और छात्र यूक्रेन से आ रहे हैं। रात एक बजे एयर इंडिया की फ्लाइट एआइ 1942 से छह छात्र, सुबह 4:15 बजे इंडिगो की फ्लाइट 6E-8387 से तीन छात्र और सुबह 5:45 बजे इंडिगो की फ्लाइट 6E-9452 से चार छात्र स्‍वदेश आ रहे हैं। अब कुल 53 छात्रों को वहां से निकाल जा चुका है।

उत्तराखंड में नोडल अधिकारी डीआइजी पी रेणुका देवी ने बताया कि बुधवार को सात उत्तराखंडी लौटे हैं। अब तक स्वदेश लौटने वाले उत्तराखंडियों की संख्या 42 हो चुकी है। जबकि दोपहर तक केंद्र सरकार को कुल 282 छात्रों के वहां फंसे होने की जानकारी भेजी जा चुकी है। रेणुका देवी ने बताया कि अब ज्यादातर छात्रों से संपर्क हो चुका है। वे अपनी लोकेशन समेत उपलब्ध संसाधनों की जानकारी भी दे रहे हैं। जल्द सभी के सकुशल स्वदेश लौटने की उम्मीद है।बुधवार को ऊधमसिंह नगर के शावेद अली और हृतिक राजपूत, देहरादून की ईशा रावत, हरिद्वार के मोहम्मद अनस और कृष्णा यादव, नैनीताल की शैली त्रिपाठी और पिथौरागढ़ की तनुश्री पांडेय घर पहुंचे। इधर, उत्तराखंड की पुलिस और प्रशासन भी यूक्रेन में फंसे छात्रों के स्वजन से संपर्क कर रहे हैं और उनसे उनके बच्चों की जानकारी जुटा रहे हैं। ताकि सभी छात्रों को समय पर सकुशल स्वदेश लाया जा सके।

राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार हर नागरिक की सुरक्षा व कल्याण को प्रतिबद्ध है। चुनौतीपूर्ण माहौल में भी सरकार भारतीय नागरिकों को वापस लाने का काम कर रही है। एक बयान में राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल ने कहा कि यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को बचाने का पूरा श्रेय भारत सरकार को जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने मंत्रियों को विशेष दूत के रूप में यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा है, जो भारतीय नागरिकों की वापसी के प्रयासों में समन्वय स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष इसमें हमेशा की तरह राजनीति कर रहा है। उनके बयान केवल मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए हैं। इन्हें विदेश में फंसे नागरिकों की कोई चिंता नहीं है।

 

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