अब तक दो दर्जन से अधिक बंदर मर चुके हैं। रविवार के अंक में दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद दोपहर में पशु चिकित्सा विभाग की टीम गांव पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। डाक्टरों ने बताया कि कई बंदरों की तबीयत ठीक नहीं है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है। यदि मौतों का सिलसिला जारी रहा तो पोस्टमार्टम कराकर कारण की पुष्टि की जाएगी।
20 दिनों में दो दर्जन बंदरों की हो चुकी है मौत
ग्रामीणों ने बताया कि करीब एक माह पहले रात के समय एक ट्रक से सैकड़ों बंदर यहां लाकर छोड़ दिए गए थे। उसी के बाद से मौतें बढ़नी शुरू हुईं। बाहर से आए अधिकांश बंदर सामान्य से ज्यादा कमजोर हैं, लगातार सुस्त रहते हैं और कई बार नशे जैसी स्थिति प्रतीत होती है। कई बंदर चलने में लड़खड़ाते हुए गिर भी जाते हैं। ग्रामीणों ने उन्हें भोजन देने की कोशिश की, पर वे बहुत कम खा रहे हैं। अधिकांश का पेट खराब है और वे जगह-जगह गंदगी कर रहे हैं। देवी मंदिर के आसपास कई बंदरों की मौत हो चुकी है। शनिवार को एक बंदर का बच्चा नशे जैसी अवस्था में मिला था।
शनिवार को बीमार हालात में ग्रामीणों को मिला था बंदर का बच्चा, देर रात तीन बजे मौत
ग्रामीणों ने उसे स्थानीय डाक्टर को दिखाया, शाम तक हालत में सुधार भी हुआ, लेकिन रात करीब तीन बजे उसकी मृत्यु हो गई। रविवार सुबह एक और बंदर खेत में मृत मिला।दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के बाद नरौली के पशु चिकित्सा अधिकारी डा. अवधेश पटेल और उनके सहयोगी महेश चंद्र कश्यप टीम के साथ गांव पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनके पहुंचने से पहले ही दोनों बंदरों को दफना दिया गया था।
बंदरों को बाहर से लाया गया है
ग्रामीणों के अनुसार बंदरों को बाहर से लाया गया है, इसलिए यह संभव है कि उन्हें काबू करने के लिए खाने में कोई पदार्थ मिलाया गया हो। ऊपर से सर्दी बढ़ने के कारण भी स्थिति बिगड़ सकती है। डाक्टरों ने ग्रामीणों से आग्रह किया कि यदि कोई बंदर बीमार या मृत मिले तो तुरंत विभाग को सूचना दें, क्योंकि बिना जांच के कोई दवा देना संभव नहीं है।
वन्य जीव की श्रेणी से बाहर हो चुके हैं बंदर
डीएफओ प्रीति यादव ने बताया कि करीब तीन साल पहले लाल मुंह वाले बंदरों को वन्य जीवों की श्रेणी से बाहर निकाला जा चुका है। अब इनकी देखरेख की जिम्मेदारी शहर में नगर निकायों पर है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों और विकास खंडों पर है। बंदरों के मौत के मामलों में ग्राम प्रधान या पंचायत सचिव को पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचना देकर पोस्टमार्टम की मांग करनी चाहिए।